ज़िन्दगी को निर्भय होकर जीता अगर मैं अनाथ होता खुश होता, खुद का होता ! ज़िन्दगी को निर्भय होकर जीता अगर मैं अनाथ होता खुश होता, खुद का होता !
अक्षर की वर्णमाला में, उज्जवलित कभी मेरा स्वरूप होगा।। अक्षर की वर्णमाला में, उज्जवलित कभी मेरा स्वरूप होगा।।
मेरे सीने पर एक रात अपनी उँगलियों से एक बेतरतीब - सी पेंटिंग बनाई थी तुमने... मेरे सीने पर एक रात अपनी उँगलियों से एक बेतरतीब - सी पेंटिंग बनाई थी तुमने...
गंदगी से भरी जग की महफ़िल में, तूने ही प्रभु मुझे फूल सा सँवारा है। गंदगी से भरी जग की महफ़िल में, तूने ही प्रभु मुझे फूल सा सँवारा है।
मजबूरियों का जिम्मेदारियों का क्या फर्क रिश्ता ही तो है। मजबूरियों का जिम्मेदारियों का क्या फर्क रिश्ता ही तो है।
हार और जीत दिन और रात शब्द हैं, एक दूसरे के पूरक! हार और जीत दिन और रात शब्द हैं, एक दूसरे के पूरक!